Wednesday, March 16, 2016

आप ग़ज़ल को तेवरी ही क्यों कहना चाहते हैं ? + डॉ. सुधेश

आप ग़ज़ल को तेवरी ही क्यों कहना चाहते हैं

+ डॉ. सुधेश
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आप ग़ज़ल को तेवरी ही क्यों  कहना चाहते हैं? ग़ज़ल जैसे लोकप्रिय शब्द के होते तेवरी, गीतिका, ग़ज़लिका जैसे शब्दों को चलाने की क्या आवश्कता है? नीरज ने गीतिका शब्द चलाने की कोशिश की, पर सफल नहीं हुए। ऋषभदेव शर्मा ने भी तेवरी शब्द का समर्थन किया था, पर बाद में मौन धारण कर लिया। यदि नया तेवर दिखाने का आग्रह है तो प्रत्येक सफल कविता में होता है। यदि नये तेवर की कविता तेवरी है तो उसका रूप ग़ज़ल की शैली का सहारा क्यों लेता है?

+ डॉ. सुधेश

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